ना तंग कर…..जीने दे …..ऐ जिन्दगी ….. तेरी कसम हम….तेरे आगे हार गये है…… 
क्या खूब मजबूरियां थी मेरी भी अपनी ख़ुशी को छोड़ दिया ” उसे ” खुश देखने के लिए  
हल्की सी हो चुकी है नाजुक पलके मेरी …. मुद्दतो बाद इन नजरो से गिरा है कोई … 
कुछ चीजें रोने से नहीं सब्र करने से मिलती हैं। 
 
दवा जब असर ना करे, तो नज़रें  उतारती है माँ …… ज़नाब, ये हार कहाँ मानती है 
शिकवा तकदीर का ना शिकायत अच्छी, खुदा जिस हाल मे रखे वही जिंदगी अच्छी 
इंसान तो हर घर में पैदा होता है पर इंसानियत कहीं -कहीं ही जनम लेती है। 
ना जाने कौन से गुनाह कर बैठे हैं। … जो तमन्नाओं की उम्र में तज़ुर्बे मिल रहे हैं। 
दीवार में चुनवा दिया है सब ख्वाइशों को….. अनारकली बन कर बहुत नाच रही थी मेरे सीने पर 
लफ्ज़ बीमार से पड़ गये है आज कल…..एक खुराक तेरे दीदार की चाहिए 
नाज़ुक लगते थे जो हसीन लोग … वास्ता पड़ा तो पत्थर के निकले। 
इंसान की ख़ामोशी का मतलब ये है कि वो टूट चूका है 
 
 
STATUSA2Z  
 
अकेले रहने में और अकेले होने में फर्क होता है  
कहाँ पूरी होती है दिल की सारी ख्वाइशें —- कि बारिश भी हो , यार भी हो … और पास भी हो 
ना जाने क्यों कोसते हैं लोग बदसूरती को…बर्बाद करने वाले तो हसीन चेहरे होते हैं….!! 
 
One Liner Status For Whatsapp in Hindi 
हर एक चीज़ में खूबसूरती होती है , लेकिन हर कोई उसे देख नहीं पाता। 
कदर होती है इंसान की जरुरत पड़ने पर ही, बिना जरुरत के तो हीरे भी तिजोरी में रहते है…!! 
अकेले ही गुजरती है ज़िन्दगी …. लोग तसल्लियाँ तो देते हैं पर साथ नहीं। 
चेहरे बदल-बदल कर मिलते है लोग मुझसे…. इतना बुरा सुलूक क्यूँ मेरी सादगी के साथ 
अपना  तो कोई दोस्त नही   है, सब साले   कलेजे   के टुकडे है ।।  
 
लोग भी बड़े अजीब होते है, गलत साबित होने से पहले माफ़ी नहीं मांगते, बल्कि तालुक तोड़ देते है. 
दुनिया   में सबसे   ज्यादा वजनदार  खाली जेब   होती है, चलना मुश्किल  हो जाता है 
सालो बाद मिले थे, हम एक दूसरे से,उसकी गाडी बड़ी थी और मेरी दाढ़ी.. 
 
Still Finding One Liner Status For Whatsapp in Hindi 
कहाँ मिलता है कोई समझने वाला , सब समझा कर चले जाते हैं। 
आत्महत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर……अब इंसान से ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता। 
झुको उतना ही जितना सही हो, बेवजह झुकना दुसरे के एहम को केवल बढ़ावा देता है। 
ज्यादा कुछ नहीं बदला उम्र बढ़ने के साथ , बचपन की ज़िद समझौतों में बदल जाती है। 
सादगी अगर हो लफ़्हज़ों में तो “इज़्ज़त ” बेपनाह और “बेमिसाल ” दोस्त मिल ही जाते हैं। 
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